पटना/मुजफ्फरपुर [जागरण टीम]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा है कि उनके स्वयंसेवक देश की रक्षा के लिए तैयार हैं। देश को जरूरत पड़ी और संविधान इजाजत दे, तो तीन दिनों में ही वे सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाएंगे। हमें संघ और संगठन की नहीं, बल्कि देश की चिंता है। उन्‍होंने रविवार को मुजफ्फरपुर के जिला स्कूल मैदान में आयोजित स्वयंसेवकों के खुले सम्मेलन और पटना शाखा मैदान में स्‍वयंसेवकों को संबोधित किया।
मातृभूमि की रक्षा को तत्पर संघ कार्यकर्ता
मुजफ्फरपुर में भारत-चीन युद्ध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सिक्किम सीमा क्षेत्र तेजपुर से पुलिस थाने के सिपाहियों का पलायन हो गया। उस समय सीमा पर सेना के जवानों के आने तक संघ के स्वयंसेवक डटे रहे। नागरिकों को साहस बंधाया, ताकि, लोग वहां से भागे नहीं। स्वयंसेवकों को जब भी जो जिम्मेदारी मिली, पूरी तत्परता से उसका निर्वाह किए।
संघ प्रमुख ने कहा कि नौजवानों की यह क्षमता शाखा में जाने के कारण होती है, जहां उन्हें खेलकूद, शारीरिक प्रशिक्षण से लेकर अपनी मातृभूमि के लिए समर्पित होने का संस्कार मिलता है। भारतीय जीवन मूल्यों की समझ होती है। समाज को संस्कारित करने के लिए नियमित रूप से शाखा जाने की जरूरत है।
आचरण से होगा सामाजिक बदलाव
उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का माहौल सिर्फ बातों से नहीं बल्कि, व्यवहार से पैदा होगा। तमाम नेता चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं। जनता भी उन दावों की हकीकत समझती है।  चुनाव के समय नेताओं के ऐसे दावे पर जनता की बेबाक टिप्पणी भी सुनने को मिलती है। इसलिए स्वयंसेवकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने आचरण से वो कर दिखाएं जिससे सामाजिक समरसता का वातावरण बने।
स्त्राेत : जागरण
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